पिता | Pita ke Upar Kavita

पिता ( Pita )  ( 3 ) जो खुद के अरमानों को भूल, बच्चों के अरमान पूरा करता, एक पिता ही है जो सदैव, अपने से आगे बढ़ता देखता है। जीवन रूपी वृक्ष की , जड़ होता है पिता , पिता है तो जीवन है , पिता नहीं तो जीवन सूना है ‌। मेरा स्वयं … Continue reading पिता | Pita ke Upar Kavita