अपना धर्म बताना है | Poem apna dharm batana hai

अपना धर्म बताना है ( Apna dharm batana hai )   बुझी हुई चिंगारी है ये, फिर से इसमे आग भरो। याद करो इतिहास पुराना, और फिर से हुंकार भरो।   कोटि कोटि हिन्दू के मन में, धर्म के प्रति सम्मान भरो। दानव दल फिर प्रबल ना होए,तुम ऐसा प्रतिकार करो।   नही सहिष्णु हमें … Continue reading अपना धर्म बताना है | Poem apna dharm batana hai