बदलते रिश्ते | Poem badalte rishtey
बदलते रिश्ते ( Badalte rishtey ) रिश्ते बदलते सारे रिश्तो की अब डोर संभालो। प्रेम की धारा से खींचो प्यार के मोती लुटा लो। मतलब के हो गए हमारे सारे रिश्ते नाते। खो गया प्रेम पुराना खोई सब मीठी बातें। स्वार्थ रूपी शेषनाग डस रहा है रिश्तो को। सद्भाव प्रेम को भूल … Continue reading बदलते रिश्ते | Poem badalte rishtey
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed