![Kavita badalte rishtey Poem badalte rishtey](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/04/Kavita-badalte-rishtey-696x464.jpg)
बदलते रिश्ते
( Badalte rishtey )
रिश्ते बदलते सारे रिश्तो की अब डोर संभालो।
प्रेम की धारा से खींचो प्यार के मोती लुटा लो।
मतलब के हो गए हमारे सारे रिश्ते नाते।
खो गया प्रेम पुराना खोई सब मीठी बातें।
स्वार्थ रूपी शेषनाग डस रहा है रिश्तो को।
सद्भाव प्रेम को भूल कोस रहे किस्मतों को।
प्यार के मोती लुटाए रिश्तों में प्रेम फैलाए।
वक्त का मारा हो कोई अपनापन जा जताएं।
सुख-दुख बांटो थोड़ा बोलो मीठे बोल जरा।
प्रेम से मिलो सबसे रिश्तो में दुलार भरा।
नेह की डोर लेकर प्यार के रिश्तों में बांधों।
लबों पर मुस्कान खुशियों के खजाने साधो।
बदलते रिश्तो को बचा लो जरा टूटने से।
दरारे ना पड़ जाए घर की बातें फूटने से।
दिखावा सा रह गया मेलजोल प्रेम सारा।
विश्वास डगमगाया कहां गया प्रेम प्यारा।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )