गिनती की सांसे | Poem Ginti ki Saanse

गिनती की सांसे ( Ginti ki Saanse )   फूटल कौड़ी साथ में केहू न लेके जाई, लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई। पाप और पुण्य कै ई बाटे दुई डगरिया, दुई दिन कै जिनगी बा, छूटी ई बजरिया। सोनवाँ जस देहियाँ के दीहैं लोग जलाई, लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई। फूटल … Continue reading गिनती की सांसे | Poem Ginti ki Saanse