हंस लो जरा मुस्कुरा लो | Poem hans lo jara

हंस लो जरा मुस्कुरा लो ( Hans lo jara muskura lo )    हंस लो जरा मुस्कुरा लो जिंदगी है चार दिन की खुशियां तुम मना लो कल किसने देखा है खिली सरसों के जैसे हंसो खिलखिला लो तुम पतझड़ की आंधी में टूट बिखर जाओगे जब यादों के पन्नों मे बस फिर रह जाओगे … Continue reading हंस लो जरा मुस्कुरा लो | Poem hans lo jara