
हंस लो जरा मुस्कुरा लो
( Hans lo jara muskura lo )
हंस लो जरा मुस्कुरा लो
जिंदगी है चार दिन की
खुशियां तुम मना लो
कल किसने देखा है
खिली सरसों के जैसे
हंसो खिलखिला लो तुम
पतझड़ की आंधी में टूट
बिखर जाओगे जब
यादों के पन्नों मे बस
फिर रह जाओगे तुम
मिले इन चंद लम्हों को
जी कर अपना बना लो
खुशनुमा यादों के पन्ने
दिल में समा लो तुम