इतना भी मत शोर मचाओ | Poem itna bhi mat shor machao
इतना भी मत शोर मचाओ ( Itna bhi mat shor machao ) इतना भी मत शोर मचाओ, शहरों में। सच दब कर रह जाये न यूँ, कहरों में।। ये बातें ईमान धरम की होती हैं, वरना चोरी हो जाती है, पहरों में।। गर आवाज न सुन पाओगे तुम दिल की, समझो तुम … Continue reading इतना भी मत शोर मचाओ | Poem itna bhi mat shor machao
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