जाते हुए लम्हें | Poem Jaate Hue Lamhe

जाते हुए लम्हें! ( Jaate hue lamhe )    ख्वाहिशों की ये बारिश देर तक नहीं टिकती, रितु चाहे हो कोई देर तक नहीं टिकती। लूटो नहीं दुनिया को चार दिन का मेला है, गिनकर दिया साँसें देर तक नहीं टिकती। आँखें उसकी हिरनी-सी पागल कर देती है, जवानी की ये खुशबू देर तक नहीं … Continue reading जाते हुए लम्हें | Poem Jaate Hue Lamhe