जीवन के इस धर्मयुद्ध में | Poem jeevan ke dharmayudh mein

जीवन के इस धर्मयुद्ध में ( Jeevan ke is dharmayudh mein )   जीवन के इस धर्मयुद्ध में, तुमको ही कुछ करना होगा। या तो तुमको लडना होगा, या फिर तुमको मरना होगा। फैला कर अपनी बाहों को, अवनि अवतल छूना होगा, या तो अमृत बाँटना होगा, या खुद ही विष पीना होगा।   एक … Continue reading जीवन के इस धर्मयुद्ध में | Poem jeevan ke dharmayudh mein