![Young hipster man outdoor with backpack on his shoulder, Time to जीवन के इस धर्मयुद्ध में](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/09/जीवन-के-इस-धर्मयुद्ध-में-696x464.jpg)
जीवन के इस धर्मयुद्ध में
( Jeevan ke is dharmayudh mein )
जीवन के इस धर्मयुद्ध में, तुमको ही कुछ करना होगा।
या तो तुमको लडना होगा, या फिर तुमको मरना होगा।
फैला कर अपनी बाहों को, अवनि अवतल छूना होगा,
या तो अमृत बाँटना होगा, या खुद ही विष पीना होगा।
एक अकेला तू ही है जो, खुद के कर्म का भागी हैं।
बाकी सारे लोभ मोह तो, समझ ले सब संसारी हैं।
क्या करना है क्यों करना हैं सब का निर्णय तेरा है,
डरता क्यों है किसी से तू मन, भाग्य लिखा ही आनी हैं।
कदम बढा कर देख तो ले, दोनो में इक ही होना हैं।
या घुट घुट के जीना है या, तान के सीना जीना हैं।
बार बार जो हूंक उठे तो, मिटा उसे हुंकार लगा,
कदम बढा कर देख शेर, विधि का लिखा ही होना हैं।
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कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )