व्यंजन क से ज्ञ तक | Poem ka se gya tak

व्यंजन क से ज्ञ तक  ( Vyanjan ka se gya tak )    क- कमजोर नहीं समझ चाईना    ख- ख़रबूज़े सा काटेंगे हम ऐसा ग- गरूर नहीं करतें हम इतना     घ- घड़ा पाप का भर गया तेरा जैसा   च- चमन चीन का उजाड़ देंगें     छ- छप्पर सारे हम उखाड़ देंगें ज- … Continue reading व्यंजन क से ज्ञ तक | Poem ka se gya tak