Poem ka se gya tak
Poem ka se gya tak

व्यंजन क से ज्ञ तक 

( Vyanjan ka se gya tak ) 

 

क- कमजोर नहीं समझ चाईना

   ख- ख़रबूज़े सा काटेंगे हम ऐसा

ग- गरूर नहीं करतें हम इतना

    घ- घड़ा पाप का भर गया तेरा जैसा

 

च- चमन चीन का उजाड़ देंगें

    छ- छप्पर सारे हम उखाड़ देंगें

ज- जम्प ज़्यादा ना कर चाईना

    झ- झण्डा वहाॅं भी गाड़ हम देंगें

 

ट- टमाटर जैसा लाल है तू

     ठ- ठठेरे जैसे तुझे पीट देंगें

ड- ड़मरु मत छेड़ो भोले का

     ढ-  ढ़पली तेरी बजा देंगें

 

त-  तलवार अगर उठा ली हमनें

     थ-  थाली हम नहीं बजाएंगे

द-  दलाली मत कर पाक की

     ध-  धमाल ऐसा मचा देंगें

न-  नमक खाकर गद्दार हुआ तू

 

     प-  पकड़ पकड़कर खा गया फड़के

फ- फर-फर कोरोना फैलाया तू

     ब-  बहादुर नहीं तू कायर है

भ-  भड़काना देश छोड़दे तू

      म- मछली के जैसा तड़प मरेगा

 

य-  यह ना सोच निर्बल है भारत

      र-  रस्से के बाॅंध लटका देंगे

ल-  लटका रहेगा कई दिनों तक

      व-  वंश तेरा मिट जाऐगा

श- शस्त्र चला नहीं पाऐगा

 

      ष- षड़सठ पर एक पड़े हम भारी

स- सड़कर मरोगे चाइनिज़ सारे

      ह- हम सपथ लेते है आज

क्ष- क्षत्रिय तलवार लेंगे हम हाथ

      त्र- त्राहि-त्राहि करोंगे फिर सब

ज्ञ- ज्ञान की बात सुन ले तू आज

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

1 COMMENT

  1. व्यंजन अ से ज्ञ तक अच्छी व जोश भरने वाली बाल कविता है पर कही कही संशोधन की आवश्यकता है। मैने भी स्वर और व्यंजन पर दो अलग अलग कविता लिखी है कृपया पढ़िए और अपनी प्रतिक्रिया दीजिएगा

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