कह दो ये | Poem keh do ye

कह दो ये ( Keh do ye )   दूर के ढोल ,सुहाने अच्छे लगते है। दिल आये तो,बेगाने अच्छे लगते है॥   हंसते हंसते जो फांसी पर झूल गया हमको वो,दीवाने अच्छे लगते है॥   शम्मा को भी पता है,वो जल जाएगा उसको पर,परवाने अच्छे लगते है॥   अपनों से धोखे इतने खाये है … Continue reading कह दो ये | Poem keh do ye