![Poem keh do ye Poem keh do ye](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/05/Poem-keh-do-ye-696x443.jpg)
कह दो ये
( Keh do ye )
दूर के ढोल ,सुहाने अच्छे लगते है।
दिल आये तो,बेगाने अच्छे लगते है॥
हंसते हंसते जो फांसी पर झूल गया
हमको वो,दीवाने अच्छे लगते है॥
शम्मा को भी पता है,वो जल जाएगा
उसको पर,परवाने अच्छे लगते है॥
अपनों से धोखे इतने खाये है
अब तो बस,अंजाने अच्छे लगते है॥
उन्हें मुफ्त मोबाइल लैपटाप से क्या
भूखों को तो,दाने अच्छे लगते है॥
कहते है बेचारे का, दिल टूट गया
जिसको भी,मैखाने अच्छे लगते है॥
इतनी सी ख्वाइश है “चंचल”,अपनी तो
कह दो ये,तराने अच्छे लगते है॥
कवि : भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई, छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )