खोज | Poem khoj

खोज ( Khoj )   जिस सूरत को खोजने,दर दर भटके पाँव । किन्तु नहीं पाया उसे,कहीं किसी भी ठाँव ।।   शहर गाँव में हरतरफ, देख लिया सबओर । जाने पहचाने सभी ,पाया ओर न छोर ।।   चहल पहल का हरजगह,था विस्तृत संसार । शायद कोई बता दे , मेरा वांछित द्वार ।। … Continue reading खोज | Poem khoj