
खोज
( Khoj )
जिस सूरत को खोजने,दर दर भटके पाँव ।
किन्तु नहीं पाया उसे,कहीं किसी भी ठाँव ।।
शहर गाँव में हरतरफ, देख लिया सबओर ।
जाने पहचाने सभी ,पाया ओर न छोर ।।
चहल पहल का हरजगह,था विस्तृत संसार ।
शायद कोई बता दे , मेरा वांछित द्वार ।।
लेकिन किस से पूछता, उस चेहरे का नाम ।
जबवह मुझसे ही रहा,था अबतक गुमनाम ।।
ना तो कोई नाम था, ना कोई पहचान ।
बस चेहरा ही याद था,खोज न थी आसान ।।
मन में था विक्षोभ और, थके हुए थे पाँव ।
लगता था ज्यों द्यूत में, हार गया हर दाँव ।।
भग्न ह्रदय था लौटता, वापस अपने ठौर ।
सोच रहा बीता हुआ,भटकन का हर दौर ।।
बस्ती के ही छोर पर, थी अमराई शान्त ।
सोचा थोड़ी देर को,ठहर जाय मन क्लान्त ।।
भली लग रही थी वहाँ,बिखरी शीतल छाँव ।
वह चेहरा हँसता हुआ, था अपने ही गाँव ।।
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )
यह भी पढ़ें :-