क्यों हवा ढूँढ रहे हो | Poem Kyon

क्यों हवा ढूँढ रहे हो ( Kyon hawa dhoondh rahe ho )    मैं हूँ एक सूरज क्यों अंधेरा ढूँढ रहे हो, मैं हूँ तेरा समंदर क्यों कतरा ढूँढ रहे हो। घर बनाने में उसने नपा दी पूरी उमर, घर जलाने का बताओ क्यों पता ढूँढ रहे हो। उतार तो लिया पहली ही नजर में … Continue reading क्यों हवा ढूँढ रहे हो | Poem Kyon