मुँह से फूल झरते हैं | Poem Muh se Phool Jhadte Hain
मुँह से फूल झरते हैं! ( Muh se phool jhadte hain ) क्या कुदरत बनाई उसे आह लोग भरते हैं, लेकर उधार रोशनी तारे वो चमकते हैं। हौसले जवाँ दिल के उड़ते आसमानों में, रात के उन ख़्वाबों में साथ-साथ चलते हैं। कुदरत जो बख्शी है उसे हुस्न-दौलत से, बोलती है जब देखो मुँह … Continue reading मुँह से फूल झरते हैं | Poem Muh se Phool Jhadte Hain
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