तेरी कमी | Poem on Beti in Hindi

तेरी कमी ( Teri kami )   खलती है आज भी तेरी कमी, तू आज भी है मेरे लिए बेटी नन्हीं।   कैसे मैं समझूं? मानूं मैं बातें पराई पराई कहते हर कोई यही सोंच कर आंखों में छा जाती नमी खलती है आज भी तेरी कमी।   आता कहीं से तुझे देखता था कभी … Continue reading तेरी कमी | Poem on Beti in Hindi