जज़्बातों की दास्तान | Poem on Jazbaat in Hindi

जज़्बातों की दास्तान ( Jazbaaton ki dastaan )   जीवन की आधी रातें सोच-विचार में और आधे दिन बेकार हो गए, जो थे आंचल के पंछी अब हवा के साहूकार हो गए, हर रोज़ कहती है ज़िंदगी मुझसे जाओ तुम तो बेकार हो गए, हम भी ठहरे निरे स्वाभिमानी, लगा ली दिल पर चोट गहरी, … Continue reading जज़्बातों की दास्तान | Poem on Jazbaat in Hindi