कश्ती और पतवार | Poem on kashti aur patwar

कश्ती और पतवार ( Kashti aur patwar )     साहिल से कहने लगी कश्ती बड़े प्यार से। आगे बढ़ती मैं सदा मांझी की पतवार से।   नैया पार लगाये मांझी ले करके पतवार। भवसागर पार लगाए जग का वो करतार।   मंझधार में डूबी नैया बिन नाविक पतवार। जिंदगी के सफर में सदा बांटो … Continue reading कश्ती और पतवार | Poem on kashti aur patwar