नहीं घर में रोटी रखी हुई है | Poem on roti in Hindi
नहीं घर में रोटी रखी हुई है ( Nahin ghar mein roti rakhi hui hai ) नहीं घर में रोटी रक्खी हुई है! यहाँ तो भूख यूं तड़पी हुई है मिले है आंख खुलते ख़ूब ताने सहर अपनी नहीं अच्छी हुई है नहीं मिलता कभी जो चाहता हूँ बहुत तक़दीर ही … Continue reading नहीं घर में रोटी रखी हुई है | Poem on roti in Hindi
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