Poem on roti in Hindi
Poem on roti in Hindi

नहीं घर में रोटी रखी हुई है

( Nahin ghar mein roti rakhi hui hai )

 

 

नहीं घर में रोटी रक्खी हुई है!

यहाँ तो भूख यूं तड़पी हुई है

 

मिले है आंख खुलते ख़ूब ताने

सहर अपनी नहीं अच्छी हुई है

 

नहीं मिलता कभी जो चाहता हूँ

बहुत तक़दीर ही रूठी हुई है

 

नहीं दिल अब मिले अपनें किसी से

बहुत कड़वी बातें बोली हुई है

 

इन्हे खाकर मिटाऊं भूख कैसे

बहुत रोठी सूखी रक्खी हुई है

 

मिली है जिंदगी में ही निराशा

दुआ दिल की नहीं पूरी हुई है

 

सितम आज़म किये इतने मुझी पर

अपनों से दुश्मनी गहरी हुई है

 

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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