रुग्ण जीवन | Poem rugn jeevan

रुग्ण जीवन ( Rugn Jeevan )   इस रूग्ण जीवन का मेरे विस्तार है, हर शक्स ही मेरा यहाँ उस्ताद है।   समझो अगर तो वाह ना तो आह है, अब जिन्दगी से जंग ही किताब है॥   जो कागजो पे ना लिखा वो बात हैं, शिक्षा बिना भी क्या कोई इन्सान है।   कर … Continue reading रुग्ण जीवन | Poem rugn jeevan