रुग्ण जीवन
( Rugn Jeevan )
इस रूग्ण जीवन का मेरे विस्तार है,
हर शक्स ही मेरा यहाँ उस्ताद है।
समझो अगर तो वाह ना तो आह है,
अब जिन्दगी से जंग ही किताब है॥
जो कागजो पे ना लिखा वो बात हैं,
शिक्षा बिना भी क्या कोई इन्सान है।
कर लो चरण गुरू वन्दना आभार है,
गुरू पूजना भारत मे ही सम्मान है॥
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कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )