सइयाँ मुझको बनारस घुमाना | Poem Saiyan
सइयाँ मुझको बनारस घुमाना ! ( Saiyan mujhko banaras ghumana ) सुनों -सुनों सइयाँ मोहें गरवा लगाना, बात मेरी मानों बनारस घुमाना। लस्सी मैं पिऊँगी,गोलगप्पे भी खाऊँगी, सुबह -सुबह चलके मैं गंगा नहाऊँगी। शामवाली आरती कराना, मुझे गोलगप्पे खिलाना। सुनों -सुनों सइयाँ मोहें गरवा लगाना, बात मेरी मानों बनारस घुमाना। लस्सी जो पिऊँगी तो … Continue reading सइयाँ मुझको बनारस घुमाना | Poem Saiyan
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