सोचा कोई गीत लिखूंगी | Poem Socha koi Geet Likhungi

सोचा कोई गीत लिखूंगी ( Socha koi geet likhungi )    सोचा कोई गीत लिखूंगी फिर से आज अतीत लिखूंगी। निश्चल भाव समर्पित मन हो ऐसी कोई प्रीत लिखूंगी स्वर्णिम भोर सुहानी रातें वह मधुसिक्त रसीली बातें दंभ और अभिमान नहीं था होती खुशियों की बरसातें ऋतुओं सा परिवर्तित कैसे हुआ वही मनमीत लिखूंगी। सोचा … Continue reading सोचा कोई गीत लिखूंगी | Poem Socha koi Geet Likhungi