तुम मत रोना प्रिय | Poem tum mat rona priye
तुम मत रोना प्रिय ( Tum mat rona priye ) तुम मत रोना प्रिय मेरे, यह तेरा काम नही है। जिससे मन मेरा लागा, मोरा घनश्याम वही है।। जो राधा का है मोहन, मीरा का नटवर नागर। वो एक रसिक इस जग का, मेरा मन झलकत गागर।। शबरी की बेरी में दिखे … Continue reading तुम मत रोना प्रिय | Poem tum mat rona priye
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