विद्या शंकर विद्यार्थी की कविताएं
चेहरे को पढ़ना मुश्किल है जहांँ महंगाई नट-खेल करे, क्या भक्ति की बात करेंपेट में आग लगी हुई हो, और शहनाई की साथ धरें। ईंट-पत्थर ढोता वह आज भी, रोटी – रोटी रोता हैजिस दिन पेट भरता नहीं है खाली पेट ही सोता है। कौन कृष्ण की मुरली सुनेगा, यमुना का तट निहारेगाबेटे भी मजदूर … Continue reading विद्या शंकर विद्यार्थी की कविताएं
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