पूस की ठंड | Poos ki thand par kavita

पूस की ठंड ( Poos ki thand )    पूस की ठंडी ठिठुरन में तन मन जा रहा है कांप। आसमान तक फैली है सर्दी सूरज गया लंका दिशि चाप।।   बीती रात जब हुआ सवेरा धरती को कोहरे ने घेरा। दिन का है कुछ पता नहीं चारों तरफ बस धुआं अंधेरा।।   ठंड से … Continue reading पूस की ठंड | Poos ki thand par kavita