प्रतिद्वंदी संसार | Pratidwandi Sansaar
प्रतिद्वंदी संसार ( Pratidwandi Sansaar ) दीवानगी की हदों पर,सदा प्रतिद्वंदी संसार स्वप्निल आभा यथार्थ स्पंदन, अंतरतम वसित अनूप छवि। नेह वश चाल ढाल, हाव भाव श्रृंगार नवि । पर हर कदम व्यंग्य जुल्म सितम सह, चाह आकांक्षा सीमा अपार । दीवानगी की हदों पर,सदा प्रतिद्वंदी संसार ।। निहार दैहिक सौष्ठव, मचल रहीं वासनाएं … Continue reading प्रतिद्वंदी संसार | Pratidwandi Sansaar
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