प्रिय आ जाना | Prem par kavita

प्रिय ! आ जाना ( Priye aa jaana )     यह प्रेम छिपाए ना छिपता जब पास प्रिय ना होती हो दिल दर्द सहे कितना पूछो? अधमरा मरा कर देती हो,           कुछ अजब गजब हरकत मुझमें         तुम यादों में दे जाती हो         फिर प्यार छिपाए कहां छिपे         उल्टा मुझको … Continue reading प्रिय आ जाना | Prem par kavita