जगने लगी हूँ मैं | Prem poem

जगने लगी हूँ मैं ( Jagne lagi hoon main )     देखी हूँ जब से उनको संवरने लगी हूँ मैं, बेकाबू हुआ दिल मेरा जगने लगी हूँ मैं।   दिन- रात दुआ माँगती हूँ उनके वास्ते, इस जिन्दगी से जुड़ गए उनके रास्ते। मुझको बिछाएँ फूल या वो बिछाएँ काँटे, हर साँस में अब … Continue reading जगने लगी हूँ मैं | Prem poem