प्रियवर मेरे तन मन प्रान महान प्रियवर। प्रात:सांध्य विहान सुजान प्रियवर।। इस असत रत सृष्टि में तुम सत्य हो, नित नवीन अनवरत पर प्राच्य हो, मेरे अंतस में तुम्हारा भान प्रियवर।।प्रात:० ललित वीणा तार तुमसे है सुझंकृत, ये षोडस श्रृंगार तुमसे है अलंकृत, प्रेयसी का मान स्वाभिमान प्रियवर।।प्रात:० प्रणयिका बन चरण … Continue reading प्रियवर
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