पुरस्कार मिले या तिरस्कार

पुरस्कार मिले या तिरस्कार   यथार्थ की धरातल पर खड़े होकर , सच को कर लूँगा स्वीकार पुरस्कार मिले या तिरस्कार |   ना कभी डगमगाऊंगा , कभी नहीं घबराऊंगा , झंझावातों से टकराऊंगा , मजधारों से हाथ मिलाऊँगा , हिम्मत नहीं मैं हारूँगा | सब कुछ कर लूँगा स्वीकार , पुरस्कार मिले या तिरस्कार … Continue reading पुरस्कार मिले या तिरस्कार