पुष्प की अभिलाषा | Pushp par Kavita

पुष्प की अभिलाषा ( Pushp ki abhilasha )    मै हूँ एक छोटा सा यह फूल, निकल आता पौधे पर फूल। पहले होता में बाग व बग़ीचे, आज लगाते घर गमले बग़ीचे।। मैं एक फूल अकेला हूँ ऐसा, खिलते तोड़ लिया मुझे जाता। वन माली मुझको पानी है देता, खाद और रखवाली भी करता।। कभी-कभी … Continue reading पुष्प की अभिलाषा | Pushp par Kavita