रात ठहरी सी | Raat Thehri si

रात ठहरी सी ( Raat thehri si )   कुछ रात ठहरी सी है ,स्याह सी,गहरी सी है धुंध को ओढ़े सी है ,कई राज  समेटे  सी है सर्द सी , जर्द सी ,सीने में अलाव लिए हुए कांपती, कंपाती सी ,दिल को हाथ में थामे सी है सांसों की हरारत से ,जमा लहू पिघलाते … Continue reading रात ठहरी सी | Raat Thehri si