रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’ की रचनाएँ

बालकनी में धूप! रजनीगंधा-सम लगे, बालकनी में धूप।रजनीहासा-सा खिला, मखमल रूप-अनूप।। मखमल रूप-अनूप, सरककर प्रियतम आए।संग पिएँ हम चाय, नहीं मुझ बिन रह पाए।। रजनी हुई प्रसन्न, सटाकर बैठे कंधा।बहुत सताती शीत, उन्हें सुन रजनीगंधा!! तीरगी का तराना न गाओ कभी तीरगी का तराना न गाओ कभीशम्अ दिल से अज़ी तुम जलाओ कभी तुम हुए … Continue reading रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’ की रचनाएँ