रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’ की रचनाएँ

वस्ल के वक़्त ( Vasl ke Waqt ) वस्ल के वक़्त वो रुका ही नहींमाह-ए-उल्फ़त में दिल मिला ही नहीं मुस्कुराते हैं ख़ार में भी गुलहार से उनका वास्ता ही नहीं ज़ीस्त क़ुर्बान इस पे है मेरीहिन्द जैसा वतन बना ही नहीं क्यों किनारों से राब्ता रखताये समुंदर को ख़ुद पता ही नहीं तेरी आग़ोश … Continue reading रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’ की रचनाएँ