रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’ की रचनाएँ
कुछ तो है वो बात : गीत सुनकर तुम शरमार्ई “रजनी!” “कुछ तो है वो बात!”चाँद छेड़कर पूछ रहा है, सिहर उठा क्यों गात? तारों वाली झीनी चुनरी, महक रहा है वेश।बेला-चंपा से हैं सज्जित, घूँघर काले केश।संध्या की लाली गालों पर, अधर हुए जलजात।“कुछ तो है वो बात!” सुनो रूपसी क्यों करती हो, तुम … Continue reading रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’ की रचनाएँ
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