रक्तबीज सी अभिलाषाएं | Raktabeej
रक्तबीज सी अभिलाषाएं ( Raktabeej si abhilashayen ) रे मायावी बोल। आदि अन्त क्या इस नाटक का, कुछ रहस्य तो खोल। रे मायावी बोल। रह कर स्वयं अदृश्य दृश्य तू प्रतिपल रहे बदलता। ऊपर नीचे दिग्दिगन्त में, इंगित तेरा चलता। माटी के पुतले को तूने प्राण शक्ति दे डाली। नश्वर काया में अविनश्वर विषय … Continue reading रक्तबीज सी अभिलाषाएं | Raktabeej
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