वह राम कहां से लाऊं मैं | राम पर कविता

वह राम कहां से लाऊं मैं  शबरी    के   जूठे   बेरों   से जो तनिक नहीं भी बैर किया सब  ऊंच – नीच  के भेदों से जो  ना  अपना ना गैर किया उस  पुरषोत्तम  श्री  रामचन्द्र को  आज  कहां  से लाऊं मैं अब  लखन जानकी संग राम को  देख  कहीं  ना  पाऊं  मैं। … Continue reading वह राम कहां से लाऊं मैं | राम पर कविता