मैंने अपने होंठ बंद कर लिए | Ramakant poetry

मैंने अपने होंठ बंद कर लिए ( Maine apne honth band kar liye )   वक्त ने करवट बदली रिश्तो में दिखावा भर दिया इतनी दरारें आई घर में घट घट छलावा कर दिया   हम हितेषी हो उनके दुख दर्द बांटने चल दिए लड़ने को तैयार वो बैठे मैंने होंठ बंद कर लिए   … Continue reading मैंने अपने होंठ बंद कर लिए | Ramakant poetry