रमाकांत सोनी की कविताएं | Ramakant Soni Hindi Poetry

पापा के जाने के बाद वीरानी सी छाई रहती दिल को सुकून नहीं मिलता। पापा के जाने के बाद अब कोई हुकुम नहीं चलता। घर आंगन चौखट सूने शीतल छांव कहां से लाऊं। उंगली थामे चलना सिखाया वो पांव कहां से लाऊं। छत्रछाया सर पर रहती ठंडी पीपल की छांव सी। प्रेम का झरना बहता … Continue reading रमाकांत सोनी की कविताएं | Ramakant Soni Hindi Poetry