रे आदमकद | Re Aadamkad 

रे आदमकद !  ( Re aadamkad )    हो गया है तू कितना बौना! तुझे हर वक्त चाहिए सुख सुविधाओं का बिछौना! भूल गया है तू इस पुण्य धरा में कहांँ-कहांँ महान सभ्यता- संस्कृति के गौरव चिन्ह छुपे हुए हैं अपने मन से पूछ क्या तूने कभी खोजें हैं! अधुनातन रंग में रंग गया है … Continue reading रे आदमकद | Re Aadamkad