ऋतुराज | Rituraj par Kavita

ऋतुराज ( Rituraj )  सर्दियों को कर दो अब तुम विदा बसंती पवन पे सब हो रहे फिदा ऋतुराज की ये मनमोहक अदा मेहरबान धरती पर हो जैसे खुदा अंबर से देखो सरसों का रूप खिला हरि हरि चुनर को ओढ़ के गेहूं खिला कोयल का आमों पर डेरा डला अमवा की बोर से लगे … Continue reading ऋतुराज | Rituraj par Kavita