Rituraj par Kavita
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ऋतुराज

सर्दियों को कर दो अब तुम विदा
बसंती पवन पे सब हो रहे फिदा

ऋतुराज की ये मनमोहक अदा
मेहरबान धरती पर हो जैसे खुदा

अंबर से देखो सरसों का रूप खिला
हरि हरि चुनर को ओढ़ के गेहूं खिला

कोयल का आमों पर डेरा डला
अमवा की बोर से लगे ताज सजा

पलाश टेसू के फूलों से पूरा लदा
सरस्वती के साधक को ज्ञानमिला

लहलहाती फसलें हैं मेहनत का सिला
कामदेव को जैसे आमंत्रण मिला

रति को पहले अपने साथ लिया
प्रकृति से धरती का सिंगार किया

सूर्यनारायण को मन में नमन किया
भंवरो ने फूलों पर गुंजन किया

मधुमास ने बेरो की गंध संग आगमन किया
बसंती पवन पर सब हो रहे हैं फिदा

मदमस्त बयार संग बहके है पिया
गोरी से मिलन को धड़के जिया

बसंती पवन पर सब हो रहे हैं फिदा
ऋतुराज की यह है मनमोहक अदा

 

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