कुमार अहमदाबादी की रुबाइयाँ | Rubaiyat of Kumar Ahmadabadi

राजस्थानी रुबाई मोसम सी फूटरी फरी है सजनी चंचळ गोरी अलबेली है सजनी मोसम री खूबसूरती री माया कवि रा सबदों ने लागी है सजनी अदा भोलीभाली ये शरमाने की अदा घायल करती है इतराने की अदा पति के दिल को जवान रखती है सनम प्यासी नजरों से ललचाने की अदा साजन तन रंग दो … Continue reading कुमार अहमदाबादी की रुबाइयाँ | Rubaiyat of Kumar Ahmadabadi