साहित्यकार ( Sahityakar ) जीता है जो औरों की खातिर साहित्यकार वही कहलाता है करता नही प्रहार गलत पर खंजर से लेखन से ही वह युगदृष्टा बन जाता है साहित्य नही केवल शब्दों का संचय यह तो विष और अमृत दोनो का समन्वय आवश्यकता होती है जब जैसे साहित्य का होता है सृजन तब … Continue reading साहित्यकार | Sahityakar
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