संभव हो तो | Kavita Sambhav ho to
संभव हो तो ( Sambhav ho to ) संम्भव हो तो कुछ बातों पे, मेरे मन की करना। सूर्ख रंग के परिधान पर तुम,कमरबन्द पहना। लट घुघरालें एक छोड़ कर, जूडें को कस लेना, लाल महावर भरी पैजनी,थम थम करके चलना। काजल की रेखा कुछ ऐसी, जैसी लगे कटारी। बिदिया चमकें ऐसे … Continue reading संभव हो तो | Kavita Sambhav ho to
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