संसार | Sansar par Kavita

संसार ( Sansar )  ईश्वर तेरे संसार का बदल रहा है रूप-रंग, देख सब हैं चकित और दंग। क्षीण हो रहा है वनों का आकार, जीवों में भी दिख रहा बदला व्यवहार। कुछ लुप्त भी हो रहे हैं, ग्लेशियर पिघल रहे हैं। वायु हुआ है दूषित, विषैले गैसों की मात्रा बढ़ी है अनुचित। समझ नहीं … Continue reading संसार | Sansar par Kavita